त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो। यहि अवसर मोहि आन उबारो॥ अस्तुति केहि विधि करौं तुम्हारी। क्षमहु नाथ अब चूक हमारी॥ सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।। त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥ एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥ मैना https://shivchalisas.com